26 जनवरी गणतंत्र दिवस । कुछ खास बातें राष्ट्रगान के बारे में जो सब को जानना बहुत जरूरी है।




आपने राष्‍ट्रगान के बारे में सुना ही होगा हमारे राष्‍ट्रगान में बहुत से दिलचस्प तथ्य हैं आइए जानते हैं इसे कितने देर में गाया जाता है और इसका क्या महत्व है?

रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1911 में एक कविता लिखी थी, जो 5 पदों में थी।

इस कविता के पहले पद को हमारे राष्ट्रगान में लिया गया है।

इस गीत को हिंदी और उर्दू में कैप्टन आबिद अली ने अनुवाद किया था जो सुभाष चंद्र बॉस ने करवाया था।

जन-गण-मन बंगाली भाषा में लिखा हुआ है जिसमें संस्कृत शब्द भी शामिल हैं।

इस गीत को पहली बार 27 दिसंबर, 1911 को कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में गाया गया था।

इस गाने को राष्ट्रगान तौर पर 24 जनवरी, 1950 को अधिकारिक तौर पर अपनाया गया था।

राष्‍ट्रगान के बोल और धुन को आंध्र प्रदेश के मदनापल्ली में स्वयं रवीन्द्रनाथ टैगोर के द्वारा तैयार किया गया था।

बेसेन्ट थियोसोफिकल सोसायटी की प्रिंसिपल और कवि जेम्स एच. कजिन्स की पत्नी मारगैरेट ने इस राष्ट्रगान के अंग्रेजी अनुवाद के लिए म्यूजिकल नोटेशन्स को तैयार किए थे।

 कानून के अनुसार राष्‍ट्रगान गाने के लिए किसी भी व्यक्ति को बाध्य नहीं किया जा सकता और राष्ट्रगान गाने अथवा बजाने के दौरान अगर कोई व्यक्ति शांति से खड़ा रहता है तो इसे राष्‍ट्रगान और राष्ट्र के प्रति कोई अपमान नहीं माना जाता है।

राष्‍ट्रगान को गाने में सिर्फ 52 सेकंड का समय लगता है।

इस राष्‍ट्रगान के संक्षिप्त रूप (पहली और अंतिम पंक्ति) को गाने में 20 सेकंड का समय लगता है।

इस राष्‍ट्रगान के नियमों का पालन नहीं करने वाले व्यक्ति को और राष्‍ट्रगान का अपमान करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, प्रिवेंशन ऑफ इनसल्‍ट टू नेशनल ऑनर एक्‍ट- 1971 की धारा-3 के अंतर्गत कार्रवाई की जाती है।

भारत सरकार के अनुदेशों के अनुसार फिल्मों के प्रदर्शन के दौरान यदि फिल्म के किसी भाग में राष्ट्रगान बजे तो खड़ा होना या गाना आवश्यक नहीं हैं।


ऐसा कहा जाता है कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस गीत को अंग्रेज जॉर्ज पंचम की प्रशंसा में लिखा गया था। 1939 में लिखे एक पत्र में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस बात को खारिज किया था।



हमारा राष्‍ट्रगान
जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता।
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा, द्रावि़ड़ उत्कल बंग।
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा ।
जन-गण मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य-विधाता।
जय हे ! जय हे !! जय हे !!!
जय ! जय ! जय ! जय हे !!